पूर्व अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा एवं निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष
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अत्यंत सरल, सौम्य तथा नियमित तथा अनुशासित दिनचर्या के धनी डॉक्टर अंजनी कुमार शुक्ल ने बताया कि वे बाल्यकाल से ही शिक्षा के लिए समर्पित रहे हैं और उनका शिक्षा जगत में आने का उद्देश्य मानव को मानवीय संवेदनाओं तथा मानवता से साक्षात्कार कराने का रहा है इसके अलावा छात्रों में मानवीय मूल्यों को उभार कर उनका सर्वांगीण विकास कराना था।
वह हमेशा से चाहते रहे हैं देश के ग्रामीण क्षेत्र खासकर अनुसूचित जाति जनजाति में शिक्षा का शत प्रतिशत प्रचार-प्रसार हो जिससे आडंबर ,अंधविश्वास तथा समाज में व्याप्त कुरीतियों से बचाया जा सके एवं उन्हें उच्च शिक्षा देकर समाज के उच्च स्थानों में स्थापित किया जा सके। उनका उद्देश्य यह भी रहा है कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में व्याप्त अंधविश्वास एवं गलत व्यसन आदि से छात्रों को बचाकर उनका सर्वांगीण विकास कर समाज में उचित स्थान में स्थापित करें।
चूंकि शुक्ला जी ग्रामीण पृष्ठभूमि से रहे हैं अतः उनकी सदैव इच्छा रही है कि ग्रामीण क्षेत्र में उच्च शिक्षा का व्यापक प्रचार-प्रसार हो और इसी संदर्भ और दिशा में उच्च शिक्षा विभाग में अपनी सेवा काल में सार्थक तथा अनथक प्रयास भी किए हैं। जिसके लिए वे छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में लगातार अपनी सेवाएं देकर प्रयासरत रहे हैं। वे खुद भी व्यक्तिगत तौर पर कई छात्रों को आर्थिक सहयोग देकर आगे पढ़ने ,बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहे हैं।
इस दिशा में इनके परिवार के सदस्यों ने भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है उनके एक भाई आध्यात्मिक दिशा में एक स्थापित नाम हैं एवं इसके अलावा ऑर्थोपेडिक सर्जन के रूप मे, आईएएस अधिकारी के रूप में, बैंक में महाप्रबंधक तथा महाविद्यालय शिक्षा में प्राध्यापक रूप में सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।शिक्षा की लगाई गई यह बेल अब पूरे परिवार में लहलहा रही है उनके पुत्र, पुत्र वधू, पुत्री, दामाद तथा भाइयों के पुत्र पुत्रियां उच्च पदस्थ डॉक्टर, इंजीनियर और प्रशासनिक सेवा में अपनी सेवाएं समाज में दे रहे हैं। वे लगातार शिक्षा के क्षेत्र में लोगों को विशेषज्ञ सलाह देते रहते हैं और स्त्री शिक्षा के बड़े हिमायती भी हैं।
ग्रामीण परिवेश में किसान परिवार में जन्म लेकर डॉक्टर अंजनी कुमार शुक्ल ने प्राथमिक तथा हायर सेकेंडरी राहोद ग्राम जिला जांजगीरसे प्राप्त की। 1971 में स्नातक परीक्षा ग्राम खरौद के महाविद्यालय से उत्तीर्ण कर स्नातकोत्तर राजनीति शास्त्र में की इसके पश्चात सीएमडी कॉलेज बिलासपुर से पॉलिटिकल साइंस में स्नातकोत्तर उपाधि में प्रावीण्य सूची में तृतीय स्थान प्राप्त किया था। उसके पश्चात विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से राजनीति शास्त्र में एम,फिल कर प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
डॉ अंजनी कुमार शुक्ला ने 1990 में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर से राजनीति शास्त्र में ही पीएचडी कर डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की ,उल्लेखनीय है कि ग्रामीण परिवेश से निकले एक कृषक पुत्र द्वारा शिक्षा के उच्चतम प्रतिमान स्थापित कर छत्तीसगढ़ तथा मध्य प्रदेश के कई कॉलेज में व्याख्याता, प्राध्यापक ,परियोजना अधिकारी, कुलसचिव एवं स्नातकोत्तर महाविद्यालय में प्राचार्य का दायित्व ईमानदारी ,लगन एवं सत्य निष्ठा से सुशोभित किया,उन्हें उनकी विशिष्ट योग्यता, लगन तथा लगातार इमानदारी पूर्वक सराहनीय कार्य करने के फल स्वरुप अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा के रूप में पदस्थ किया गया ।
उसके पश्चात उन्हें उनकी उच्च गुणवत्ता की सेवा का ध्यान रखते हुए विश्वविद्यालय ने महाविद्यालय विकास परिषद रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर के संचालक का पद सौंपा, उन्हें 2017 अप्रैल में महामहिम राज्यपाल छत्तीसगढ़ शासन रायपुर द्वारा छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग रायपुर का अध्यक्ष यानी चेयर पर्सन नियुक्त किया गया। यह किसी ग्रामीण परिवेश के विद्यार्थी के लिए जिसने अपनी शिक्षा दीक्षा ग्राम के स्कूलों में प्राप्त कर शिक्षा के प्रति अपनी लगन को दर्शाते हुए एक नया कीर्तिमान बनाया।
वे सर्वप्रथम तत्कालीन मध्यप्रदेश के अधीन रायपुर जिले की भगवान राजीव लोचन की पवित्र नगरी राजिम के एक निजी महाविद्यालय से अपनी सेवाएं प्रारंभ कर अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा तक की यात्रा में दो बार लोक सेवा आयोग की परीक्षा जिसमें प्रथम बार व्याख्याता एवं द्वितीय परीक्षा में प्रोफेसर पद के लिए चयनित हुए और फिर उसके बाद इनकी पदोन्नति लगातार होती रही। वे कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर के कुलसचिव भी रहे।
सीधे ,सरल,सौम्य एवं नियमित दिनचर्या के धनी डॉ,अंजनी शुक्ला जी संस्कृत तथा गीता के एक अच्छे ज्ञाता भी हैं उन्हें गीता के श्लोकों का कंठस्थ ज्ञान है।इसके अलावा डॉक्टर शुक्ला लोक सेवा आयोग छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के विशेषज्ञ चयनकर्ता एवं परीक्षक भी हैं उन्हें समय-समय पर साक्षात्कार के लिए एवं लोक सेवा आयोग के पदों के परीक्षार्थियों के चयन के लिए आमंत्रित किया जाता है।
इसके अतिरिक्त वे आमंत्रण पर कई महाविद्यालय में व्याख्यान देने के लिए अपनी सेवाएं प्रदान करते रहते हैं। डॉक्टर अंजनी कुमार शुक्ला का स्कूली शिक्षा से लेकर अब तक का जीवन शिक्षा मानवता एवं मानवीय संवेदनाओं को समर्पित रहा है आज भी लगातार लोगों को शिक्षा के प्रति एवं मानवीय संवेदना के प्रति प्रोत्साहित करते रहते हैं वह युवाओं के प्रेरणा स्रोत और ऊर्जा स्रोत भी हैं। उनके शतायु होने की शुभकामनाओं के साथ मंगलकामनाएं।